Friday, March 5, 2010

क्या महिलाओं को मिलेगा उनका हक

पूरे देश में एक बार फिर महिला आरक्षण बिल पर चर्चा हो रही है। बिल संसद में पेश हो चुका है और 8मार्च को इस पर मतदान कराए जाने की चर्चा है। इस दिन महिलाओं के लिए खास दिन है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस। क्या पुरुष पऱधान य़ह समाज, महिलाओं को यह तोहफा देने के लिए तैयार है। यह सवाल आज हर किसी के मन में कौंध रहा है।जिस बिल के पास होते ही पुरुषों का हक मारा जाएगा उस बिल को क्या बहुसंख्यक सांसद पास होने देंगें। इस बात की संदिग्धता जब तक इस पर फैसला नहीं हो जाता कायम ही रहेगा। हालांकि आज के इस युग में महिलाएं पुरुषों के कंधा से कंधा मिलाकर हर क्षेत्र में कार्य कर रही है किन्तु कहीं न कहीं आज भी नारी का शोषण हो रहा है और उन पर जुल्म की दास्तान लिखी जा रही है। संसद में बैठने वाले नीति नियंता यह कभी नहीं स्वीकार करेगें कि संसद की आधी कुर्सी पर महिलाओं का कब्जा हो। क्योंकि किस्सा ही कुर्सी का है। आज लोकसभा अध्यक्ष जो स्वयं महिला है ने व्हीप जारी कर सभी सांसदों की उपसिथित तय कर दी है किन्तु कौन वोट करेगा इसका पता कैसे चल पाएगा और इस बात की क्या गारंटी है कि बिल पर बहस और हंगामा न हो। यह भी हो सकता है कि बिल पर मतदान का अवसर ही न आए। यदि यह बिल पास होता है तो महिलाओं को उनके दिवस पर पुरुष समाज का एक अनुपम तोहफा ही होगा.

3 comments:

  1. बहुत सही लिखा है भइया. हमारी शुभकामनांए कि 8 को यह बिल पास हो.

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  2. "क्या पुरुष पऱधान य़ह समाज, महिलाओं को यह तोहफा देने के लिए तैयार है। यह सवाल आज हर किसी के मन में कौंध रहा है।"
    सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि यह समाज पुरुष प्रधान समाज क्यों है ? और जब तक तोहफा देने की मानसिकता है तब तक यह सम्भव नही है जिस दिन यह समाज मान लेगा कि यह तोहफा नही बल्कि महिलाओं का अधिकार है उस दिन सब सम्भव हो जायेगा ।

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  3. ...बिल पास होने की आशा है, स्वागत है!!!

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