छत्तीसगढ़ सरकार का वह निर्णय निशि्चत रुप से काफी सुकून और राहत देने वाला है जिसमें निर्णय लिया गया है कि आगामी वर्ष में छत्तीसगढ़ में कम से कम २५० शराब दुकानें कम हो जाएगी। सरकार का यह निर्णय शराबबंदी की ओर बढ़ते कदम की आहट मानी जा रही है। आज छत्तीसगढ़ पूरी तरह से नशा की लत में डूब चुका है।गांव-गांव में शराब दुकाने खुलने के कारण गांवों के युवा भारी तादाद में शराब के आदी हो चुके हैं। चूंकि बेरोजगारी की समस्या हर तरफ हावी है। युवा वर्ग मोबाईल युग मी जी रहा है। इसलिए पैसा कमाने की भूख हर किसी की बढ़ी है। इसी का फायदा उठाते हुए शराब माफिया युवा वर्ग को या तो नशे का अादी बना रहा है या फिर शराब कोचिया बनाकर उसे गलत राह पर चलने के लिए मजबूर कर रहा है। आज गांवों की शाति पूरी तरह से खंडित हो चुकी है।
सरकार एक तरफ गरीबों को दो रुपये किलों में चांवल उपलब्ध करा रही है, इससे काम करने की प्रवृत्ति समाप्त हो चुकी है। जब घर बैठे लोगों को अनाज मिल रहा है तो काम करने की जहमत कौन उठाए। इस प्रवृत्ति से जहां निठ्ठलों की फौज खड़ी हो रही है वहीं यही लोग नशे के आदी भी हो रहे हैं। आदमी की कमी की वजह से गांवों में लेबर की जबरदस्त समस्या उत्तपन्न हो रही है। खेती में काम करने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। यही हालत शहरों की है। सरकार की आबकारी नीति और ज्यादा धन अर्जन की चाहत ने जगह-जगह शराब दुकाने खोल दी है जिससे न केवल परिवार का परिवार तबाह हो रहा है बलिक् युवा पीढ़ी दिशाहीन होती जा रहा है। गां-गांव और शहर दंगे फसाद की घटनाएं बढ़ रही है। आए दिन कोई नकोई लूट का शिकार हो रहा है।
अब शायद सरकार की आंखें खुल गई है, इसीलिए सरकार अब शराब दुकाने घटाने जैसे निर्णय ले रही है। यह कदम शराब बंदी की दिशा में एक बढ़ते कदम माना जा रहा है। सरकार अपने दूसरे कार्यकाल के दूसरे वर्ष में यह कदम उठा रही है। दरअसल सरकार की मंशा आगामी विधानसभा चुनाव के पूर्व प्रदेश में शराब बंदी लागू करना है।आने वाले वर्षो में सरकार शराब दुकानें घटाते जाएगी फिर अंतिंम वर्ष शराब बंदी लागू कर अपनी तीसरी पारी शुरु करने की तैयारी में है। सरकार चाहें किसकीभी रहे प्रदेश में अमन चैन की कामना हर किसी है।यह एक एेसा निर्णय होगा जिससे सरकार का ग्राफ सातवे आसमान पर पहुंच जाएगा। सरकार का प्रयास सराहनीय है।इसका स्वागत किया जाना चाहिए.
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