Saturday, February 26, 2011

अदभूत संत


सहसा विश्वास नहीं होता किन्तु यह मेरे सामने की घटना है, दतिया से ७५ कि।मी दूर ग्राम पंडखोर से आए त्रिकालदशी संत के पास अदृश्य शक्ति है। उनकी दरबार में पहुंचने वाला याचक उस समय आश्र्चयचकित रह जाता है जब उसके मन की बात और निदान पण्डखोर सरकार के पास पहले से ही मौजूद होता है। गत दिनों पण्डखोर सरकार की दरबार दुर्ग में भी लगी। दर्जनों याचकों के शंकाओं का उन्होंने समाधान किया। दरबार वे अपनी इच्छा से लोगों को बुलाते हैं और सवाल पूछने को कहते हैं। याचक जब सवाल करता है तब उससे पहले ही एक कागज की पची पर उत्तर लिखा होता है। कुछ लड़कियां बाबा के पास पहुंचती है किन्तु कोई सवाल उनके मन में नहीं होता। वे कहती हैं कुछ नहीं पूछना और बाबा की पची पर भी लिखा होता है कुछ नहीं पूछना। पण्डखोर सरकार ने एक सज्जन को बताया कि तुम्हारी पत्नी को कैंसर है, उसने माना यह सच है। उसी तरह गोद में बच्ची को लिए पहुंचे एक दंपत्ति को बच्ची का दूसरा वह नाम भी बता दिया जिसे रखने का विचार उनके माता-पिता कर रहे हैं।इसी तरह अनेक सवाल को जवाब उन्होंने दिए जिसे पूछने वाला ही जानता था। सबसे बड़ी बात यह भी देखने को मिली कि उनके बारे में गलत विचार रखने वाले भी वहीं पकड़े गये।
आज के इस आधुनिक युग में जब विज्ञान नये-नये कर्तव्य दिखा रहा हो।तब इस तरह की बातों पर सहसा विश्वास ही नहीं होता किन्तु जो देखने को मिला उससे यही बात साबित होता है कि आध्यात्म और ईश्वरीय शक्ति से कोई इंकार नहीं कर सकता। पण्डखोर सरकार को मिली शक्ति गजब की है। उनका कहना है कि वे हनुमान जी के आदेश पर सब कुछ कर रहे हैं। भगवान और आदमी के बीच वे वकील की भूमिका में हैं। उन्होने यह भी कहा कि वे ईश्वर के आदेशों का पालन कर रहे हैं। धन कमाना या लोगों को गुमराह करना उनका कोई उद्देश्य नहीं है और न ही वे हाथ की सफाई दिखाते हैं और न ही कोई संमोहन विदया का सहारा लेते हैं। जब भी उन्हें हनुमान जी का आदेश होता है वे लोगों का कल्याण करने दरबार लगाते हैं। मात्र सत्ताइस वर्ष के इस चमत्कारी साधू का अलौकिक रुप देखते ही बनता है। अभी वे राजिम कुंभ में हैं। रोज वहां उनकी दरबार लग रही है जिसमें हजारों की तादात में लोगों की भीड़ जुट रही है। कहा जाता है कि राजिम में जितने भी संत-महात्मा कुंभ में आए हैं, उनमें सबसे ज्यादा भीड़ पण्डोखर सरकार के टेंट में ही उमड़ रही है। वे दो मार्च तक कुंभ में रहेंगे.

Thursday, February 24, 2011

रामदेव से जवाब मांगने का हक कांग्रेस को नहीं है.


योग गुरु बाबा रामदेव इन दिनों पेशेवर राजनीतिज्ञों के निशाने पर हैं क्योंकि बाबा रामदेव योग की शिक्षा देते-देते राजनीति की बात करने लगे हैं और राजनीति में जो मुद्दे वे उछाल रहे हैं उससे राजनीतिज्ञों के पेट में दर्द शुरु हो गया है।विदेशों बैंकों में जमा पैसा लाने की वात करने वाले रामदेव से सबसे ज्यादा दुखी कांग्रेस के नेता दिखाई दे रहे हैं तभी तो पूर्व मुख्यमंत्री दिग्गविजय सिंह भी इस लड़ाई में कूद गये हैं। उन्होंने बाबा के संपत्ति का हिसाब मांग दिया है। लगता है इस मामले में पासा कांगरेस के खिलाफ ही पड़ने वाला है क्योंकि बाबा ने तत्काल अपनी संपत्ति का हिसाब दे दिया है. अब बारी कांग्रेस की है. आजादी के अिधकांश बरसों तक देश में शासन करने वाली कांग्रेस आज कई मुद्दों पर कटघरे में खड़ी है. अगर भारत को अरबोंं खरबों रुपया विदेशों के बैंकों में जमा है तो उसका ६० से ७० फीसदी हिस्सा कांग्रेस नेताओं का ही होगा. शायद इसीलिए कांग्रेस उक्त संपत्ति के बारे में अपनी मंशा स्पष्ट नहीं कर पा रही है. बाबा रामदेव ने पूरे विश्व में स्वास्थ्य के प्रति जो जागरुकता पैदा की वैसा कोई भी नहीं कर पाया है.आज भारत का बच्चा-बच्चा बाबा रामदेव को जानने लगा है. योग करने की बात अब घर-घर होती है और बहुतायत नागिरक योग के माध्यम से अपने आपको स्वस्थ रखने का प्रयास तो कर ही रहे हैं.
बाबा रामदेव ने राजनीति मे आयी गंदगी को दूर करने का भी बीड़ा उठाया है जिसके कारण उनसे लोगों की भीड़ जुड़ रही है और यही पेशेवर राजनीतिज्ञों की पीड़ा का कारण बन रहा है। भारत स्वाभिमान को जगाने का जो बीड़ा उन्होंने उठाया है, उससे जनता जर्नादन को बरसों तक बेवकूफ बनाने वाले लोग हलाकान हो रहे हैं। भष्टाचार के जनक वास्तव में राजनीतिज्ञ ही हैं. पूरा देश अब इस दलदल में गोते लगा रहा है. एक आदमी यदि इसके खिलाफ हो जाए तो उसका ज्यादा दिन तक जीना संभव नहीं है.भष्टाचार के खिलाफ वास्तव में बड़े आंदोलन की जरुरत है जो रामदेव बाबा जैसे संत की अगुवाई में ही संभव हो सकता है. जिस तरह से बाबा रामदेव की संपत्ति की जांच की मांग आज की जा रही है, उसी तरह प्रत्येक नेताओं की संपत्ति की जांच की मांग नागरिकों की ओर से उठनी चाहिए. आखिर जीवनभर खून पसीना बहाकर भी एक आम आदमी लखपति करोड़पति नहीं बन सकता और नेता देखते ही देखते कैसे अरबों का मालिक बन जाता है.जब तक इस तरह की मांग नहीं उठेगी और इसके लिए बड़े आंदोलन नहीं होगें तब तक यह सिलसिला चलता ही रहेगा. बाबा रामदेव से ब्योरा मांगने वालों को जवाब देने का अबसर आ गया है. बाबा के हर अनुयायी इसका जवाब हर काग्रेसी नेता को दे और उनसे पूछे कि बरसों तक राज करने वालें तुम इतने मालदार कैसे बन गये.

Friday, February 18, 2011

किससे कहें अपनी पीड़ा

आम आदमी की स्थिति आज बेहद ही खराब हो गई है। एक तरफ सरकार के नुमाइंदें नितनये घपले कर रहे हैं और आम आदमी मंहगाई के बोझ से बेहाल हो रही है। सरकार और उसमें बैठे नेताऔं का राग ही बदल गया है। आम आदमी की पीड़ा को कोई समझने को तैयार नहीं है। किसी शायर का यह कथन आज कितना सच लगता है।
खुशियां मनाने पर भी है मजबूर आदमी
आंसू बहाने पर भी है मजबूर आदमी
और मुस्कराने पर भी है मजबूर आदमी
दुनिया में आने पर भी है मजबूर आदमी
दुनिया से जाने पर भी है मजबूर आदमी...
सत्ता पर जब वापसी की बात होती है जब बड़े-बड़े वादे किए जाते है। आज देश की सत्ता कागऱेस के हाथ में है। यह वही पार्टी है जिसने सौ दिनों में मंहगाई कम करने का वादा की थी आज वही सरकार का मुखिया यह कहे कि मेरे पास कोई जादू की छड़ी नहीं है जिससे मंहगाई कम कर सकूं। माना जादू की छड़ी नहीं है किन्तु सरकार तो है जो कुछ भी कर सकती है। नेता जब अपनी कुसी बचाने के लिए आपातकाल लगा सकते हैं तो क्या मंहगाई कम करने के लिए एसा कोई कदम नहीं उठा सकते जिससे आम आदमी राहत महसूस कर सके। आम आदमी की चिंता आज किसे है। आम आदमी की स्थिति कुछ इस तरह की हो गई है॥
रिन्द बिकते हैं, जाम बिकता है
मैकदे का निजाम बिकता है
सुबह बिकता है, शाम बिकता है
आदमी अब तो आम बिकता है।
भूखों मरता है आज का आदमी
और उसका हर जुबान बिकता है।
लुभावन नारों वह हर बार बिकता है
फिर कौन उनकी परवाह करे
क्योंकि सबसे सस्ता हो गया है आज का आदमी....
किसी शायर की बरसों पहले लिखी यह पंक्तियां आज के आदमी और समय पर कितना सटिक बैठता है। मानों इंसानियत पर पहरा बैठा दिया गय़ा है। लोग केवल अपनी जेब भरने की चिंता में मगन है। मध्यम परिवार कैसे दो जून की रोटी जुगाड़ता है इस बात की चिता किसी को भी नहीं है। महंगाई का असर आज हर चीज पर पड़ने लगा है।इतना सबकुछ होने के बाद भी सरकार की नुमाइंदों का गैर जिम्मेदारा बयान आता है। यदि सरकार चलाने का साहस नहीं है, मंहगाई पर यदि नियंत्रण नहीं कर सकते तो गद्दी पर बैठे रहने का हक भी नहीं है। सरकार के लोग जिस तरह से घोटालों में फंसते जा रहे हैं उसे देखकर तो कोई भी आदमी सरकार से जवाबतलब कर सकता है। जिस सरकार का अपने मंत्रियों पर ही नियंत्रण नहीं वह मंहगाई पर क्या नियंत्रण करेगी।
सत्तारुढ़ पाटी को यह याद रखना चाहिए कि....
ए जनता के वादा को भूलने वाले
डूबने के करीब है तेरे सितार........,

Sunday, February 13, 2011



Brilliant architecture

from 125 years

Rajkumar College

Raipur(CG)

Tuesday, February 1, 2011

शराबबंदी की ओर बढ़ते कदम

छत्तीसगढ़ सरकार का वह निर्णय निशि्चत रुप से काफी सुकून और राहत देने वाला है जिसमें निर्णय लिया गया है कि आगामी वर्ष में छत्तीसगढ़ में कम से कम २५० शराब दुकानें कम हो जाएगी। सरकार का यह निर्णय शराबबंदी की ओर बढ़ते कदम की आहट मानी जा रही है। आज छत्तीसगढ़ पूरी तरह से नशा की लत में डूब चुका है।गांव-गांव में शराब दुकाने खुलने के कारण गांवों के युवा भारी तादाद में शराब के आदी हो चुके हैं। चूंकि बेरोजगारी की समस्या हर तरफ हावी है। युवा वर्ग मोबाईल युग मी जी रहा है। इसलिए पैसा कमाने की भूख हर किसी की बढ़ी है। इसी का फायदा उठाते हुए शराब माफिया युवा वर्ग को या तो नशे का अादी बना रहा है या फिर शराब कोचिया बनाकर उसे गलत राह पर चलने के लिए मजबूर कर रहा है। आज गांवों की शाति पूरी तरह से खंडित हो चुकी है।
सरकार एक तरफ गरीबों को दो रुपये किलों में चांवल उपलब्ध करा रही है, इससे काम करने की प्रवृत्ति समाप्त हो चुकी है। जब घर बैठे लोगों को अनाज मिल रहा है तो काम करने की जहमत कौन उठाए। इस प्रवृत्ति से जहां निठ्ठलों की फौज खड़ी हो रही है वहीं यही लोग नशे के आदी भी हो रहे हैं। आदमी की कमी की वजह से गांवों में लेबर की जबरदस्त समस्या उत्तपन्न हो रही है। खेती में काम करने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। यही हालत शहरों की है। सरकार की आबकारी नीति और ज्यादा धन अर्जन की चाहत ने जगह-जगह शराब दुकाने खोल दी है जिससे न केवल परिवार का परिवार तबाह हो रहा है बलिक् युवा पीढ़ी दिशाहीन होती जा रहा है। गां-गांव और शहर दंगे फसाद की घटनाएं बढ़ रही है। आए दिन कोई नकोई लूट का शिकार हो रहा है।
अब शायद सरकार की आंखें खुल गई है, इसीलिए सरकार अब शराब दुकाने घटाने जैसे निर्णय ले रही है। यह कदम शराब बंदी की दिशा में एक बढ़ते कदम माना जा रहा है। सरकार अपने दूसरे कार्यकाल के दूसरे वर्ष में यह कदम उठा रही है। दरअसल सरकार की मंशा आगामी विधानसभा चुनाव के पूर्व प्रदेश में शराब बंदी लागू करना है।आने वाले वर्षो में सरकार शराब दुकानें घटाते जाएगी फिर अंतिंम वर्ष शराब बंदी लागू कर अपनी तीसरी पारी शुरु करने की तैयारी में है। सरकार चाहें किसकीभी रहे प्रदेश में अमन चैन की कामना हर किसी है।यह एक एेसा निर्णय होगा जिससे सरकार का ग्राफ सातवे आसमान पर पहुंच जाएगा। सरकार का प्रयास सराहनीय है।इसका स्वागत किया जाना चाहिए.

फेस बुक का क्रेज

आजकल फेसबुक का जमाना आ गया है, लोग अब ब्लाग को विस्मृत करते जा रहे है। ब्लाग में जो विचार उभरकर आते थे वह निश्चित रुप से पठनीय हुआ करता था ...