सहसा विश्वास नहीं होता किन्तु यह मेरे सामने की घटना है, दतिया से ७५ कि।मी दूर ग्राम पंडखोर से आए त्रिकालदशी संत के पास अदृश्य शक्ति है। उनकी दरबार में पहुंचने वाला याचक उस समय आश्र्चयचकित रह जाता है जब उसके मन की बात और निदान पण्डखोर सरकार के पास पहले से ही मौजूद होता है। गत दिनों पण्डखोर सरकार की दरबार दुर्ग में भी लगी। दर्जनों याचकों के शंकाओं का उन्होंने समाधान किया। दरबार वे अपनी इच्छा से लोगों को बुलाते हैं और सवाल पूछने को कहते हैं। याचक जब सवाल करता है तब उससे पहले ही एक कागज की पची पर उत्तर लिखा होता है। कुछ लड़कियां बाबा के पास पहुंचती है किन्तु कोई सवाल उनके मन में नहीं होता। वे कहती हैं कुछ नहीं पूछना और बाबा की पची पर भी लिखा होता है कुछ नहीं पूछना। पण्डखोर सरकार ने एक सज्जन को बताया कि तुम्हारी पत्नी को कैंसर है, उसने माना यह सच है। उसी तरह गोद में बच्ची को लिए पहुंचे एक दंपत्ति को बच्ची का दूसरा वह नाम भी बता दिया जिसे रखने का विचार उनके माता-पिता कर रहे हैं।इसी तरह अनेक सवाल को जवाब उन्होंने दिए जिसे पूछने वाला ही जानता था। सबसे बड़ी बात यह भी देखने को मिली कि उनके बारे में गलत विचार रखने वाले भी वहीं पकड़े गये।
आज के इस आधुनिक युग में जब विज्ञान नये-नये कर्तव्य दिखा रहा हो।तब इस तरह की बातों पर सहसा विश्वास ही नहीं होता किन्तु जो देखने को मिला उससे यही बात साबित होता है कि आध्यात्म और ईश्वरीय शक्ति से कोई इंकार नहीं कर सकता। पण्डखोर सरकार को मिली शक्ति गजब की है। उनका कहना है कि वे हनुमान जी के आदेश पर सब कुछ कर रहे हैं। भगवान और आदमी के बीच वे वकील की भूमिका में हैं। उन्होने यह भी कहा कि वे ईश्वर के आदेशों का पालन कर रहे हैं। धन कमाना या लोगों को गुमराह करना उनका कोई उद्देश्य नहीं है और न ही वे हाथ की सफाई दिखाते हैं और न ही कोई संमोहन विदया का सहारा लेते हैं। जब भी उन्हें हनुमान जी का आदेश होता है वे लोगों का कल्याण करने दरबार लगाते हैं। मात्र सत्ताइस वर्ष के इस चमत्कारी साधू का अलौकिक रुप देखते ही बनता है। अभी वे राजिम कुंभ में हैं। रोज वहां उनकी दरबार लग रही है जिसमें हजारों की तादात में लोगों की भीड़ जुट रही है। कहा जाता है कि राजिम में जितने भी संत-महात्मा कुंभ में आए हैं, उनमें सबसे ज्यादा भीड़ पण्डोखर सरकार के टेंट में ही उमड़ रही है। वे दो मार्च तक कुंभ में रहेंगे.