बस्तर में नक्सली हिंसा का दौर जारी है। तालेड़मटेला में ७६ जवानों का मौत कारित करने वालों ने कल फिर बीजापुर की घाटी में विस्फोट कर पुलिस वाहन को उड़ा दिया है और ७ पुलिस कर्मी फिर से नक्सली हिंसा का शिकार हो गये हैं। सरकार के समक्ष अब केवल एक ही विकल्प बचा है। नक्लसी हिंसा का कारगर जवाब देने का अब समय आ गया है। सरकार अब इस मामले को समाप्त करने के लिए केवल सेना की मदद ले। सरकार को सेना की मदद लेने में किंचित भी परहेज नहीं करना चाहिए। जब भारत के सेना लंका जाकर वहां लिट्टे के खिलाफ लोहा ले सकती है तो अपने ही देश में बंदूक की नोंक पर सत्ता हासिल करने का सपना देखने वालों के मंसूबों का ध्वस्त करना अब जरुरी हो गया है।तथाकथित समाजसेवियों और बुध्दिजीवीयो की शांति यात्रा का विरोध के बाद दूसरे दिन ही इतनी बड़ी बारदात ने यह साबित कर दिया है कि शांति यात्रा का उद्देश्य शांति की बहाली नहीं बल्कि सरकार को चेताना तो नहीं है। वैसे केन्दीय गृह मंत्री चिदंबरम ने स्पष्ट कर दिया है कि नक्सलियों से हमदर्दी रखने वाले बख्शे नहीं जाएगें। सरकार को इन संगठन और मदद कर्ताओं पर बी नकेल कसने की जुरुरत है ताकि इन आतंकवादियों को मुंह तोड़ जवाब दिया जा सके।
लगातार नक्सली वारदात के बाद अब सरकार यह फैसला करने में जरा भी देरी न करे कि इनके खात्मे के लिए सेना की मदद ली जाए। राज्य के गृह मंत्री ननकीराम कवंर ने तो स्पष्ट कह ही दिया है कि अब सेना की मदद ली जानी चाहिए। ननकीराम का निर्णय स्वागतयोग्य है, क्योंकि आखिर कब तक बेकसूर मारे जाते रहेंगे। सरकार के मुखिया रमन सिंह को तत्काल फैसला कर अपनी भावना से केन्द सरकार को अवगत करा देना चाहिए। मुख्यमंत्री को चूक नहीं करना चाहिए क्योंकि मामले में जितनी देरी होगी उतने लोग बलि का बकरा बनते जाएगे और मौत की वारदातों का आकड़ा बढ़ता ही जाएगा.
Sunday, May 9, 2010
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सेना का प्रयोग बचकाना बातें हैं , देश के लोगो के साथ ... नही नक्सली निश्चय ही गलत रास्ते पर हैं,पर सेना से नुकसान आदिवासीयो को ज्यादा होगा जो सहले ही बहुत हो चुका हैं, पर सरकार नाम की चीज तो कायम करने की बात करे,समस्या को सेना पर टाल कर प्रजातांत्रिक व्यवस्थाओ से भागना क्या उचित होगा ..., सत्ता की मलाई तो सबको अच्छी लगती हैं पर कसौटी पर घिसाई में .....
ReplyDeleteसतीश कुमार चौहान भिलाई
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सतीश कुमार चौहान भिलाई
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