Tuesday, March 30, 2010
नगपुरा महो सव आज से
दुर्ग. तीर्थकर परमा मा ाी पाश्र्वनाथ प्रभु की साधना ाी उवस गहरं पाश्र्व तीर्थ में 31 मार्च से पर परागत रूप से आयोजित प्रतिवर्षानुसार नगपुरा महो सव की व्यापक तैयारियां र्पू ा हो चुकी है. महो सव में मु बई, कलक ाा, मद्रास, अहमदाबाद, पूना आदि महानगरों से जप तप मंगल आराधना के लिए ाद्धालुओं का आगमन हो रहा है. असं य ाद्धालुओं की गहरी आस्था से ओतप्रोत इस महो सव में ाान तीर्थ कोबा के सर्जक ल ध प्रतिष्ठï प्र ाा पुरूष राष्टï्रसंत आचार्यदेव ाी पदमसागर सूरीश्वर आदि मुनि भगवंत 31 मार्च को प्रात: तीर्थ आ रहे हैं. आचार्य ाी के प्रथम तीर्थ पदार्प ा पर तीर्थ प्रबंधन के साथ ही अंचल के जनप्रतिनिधि एंव विद्यालय परिवार द्वारा नगपुरा में भव्य सामैया के साथ अगुवानी किया जावेगा. 31 मार्च को आचार्य की नि ाा में दोपहर अ_ïारह अभिषेक महापूजन की संरचना ाीमती साधनादेवी विजय कुमार दुगड़ रायपुर की ओर से किया जाएगा. रा िा 8 नगपुरा का उद ााटन अतिथियों की समृद्ध उपस्थिति में होगा. उद ााटन स ा के सात ही पदुमलाल पुन्नालाल ब शी हायर सेके डरी स्कूल, जीएमजी हायर सेके डरी स्कूल, सर्वेश्वरदास हायर सेके डरी स्कूल, गाय ाी हायर सेके डरी स्कूल राजनांदगांव, शाउमा शाला रसमड़ा, सीनियर सेके डरी स्कूल से टर 7 भिलाई, निवेदिता हायर सेके डरी स्कूल चरोदा, शाररूप्रसाद नेशनल हायर सेके डरी स्कूल दुर्ग, सन साइन हायर सेके डरी स्कूल, वर्धमान गुरूकुल नगपुरा, जवाहर नवोदय विद्यालय बोरई के विद्यार्थियों द्वारा राष्टï्रभक्ति, लोकगीत एवं लोक नृ य सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाएगा. प्रसिद्ध हास्य कलाकार प पू चंद्राकर एवं ोवर यादव प्रहसन के मा यम से जनमानस को स्वास् य जन संरक्ष ा एवं पर्यावर ा के प्रति जागृत करेंगे. रा िा में ही राकेश तिवारी रायपुर संचालित छ ाीसगढ़ी ड्रामा राजा फोकलवा की प्रस्तुति होगी.नगपुरा महो सव के अंतर्गत 1 अप्रैल को दोपहर से ाी नाकोड़ा भैरव महापूजन की संरचना लाभार्थी हुलासमल चंदनमल मोदी परिवार की ओर से किया जाएगा. जिसमें 108 ाद्धालु पूजा के वस् ा में मु य लाभार्थी के साथ ाी नाकोड़ा भैरव यं ा की पूजा में भाग लेंगे. दोपहर 2.30 बजे से ग्रामी ाों का आंचलिक कार्यक्रम तथा रा िा 8 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत अंधकार लोक संगीत समिति साजा, सुनील बंसोड़ एवं साथी राजनांदगांव नारदराम महोलिया ग्राम कांचरी के निर्देशन में लोक कला मंच पुरखा के थाती की प्रस्तुति होगी. इसी दिन चिमन साहू, रामेश्वर निर्मल हास्य प्रहसन के मा यम से धार्मिक सदभाव एवं राष्टï्रीयता का संदेश देंगे. 2 अप्रैल को ाी 108 पाश्र्वनाथ महापूजन सजोड़े शा. उमेदमल मूलचंद पोरवाल खापोली वालों की ओर से आयोजित है. दोपहर 2.30 बजे से योग की विभिन्न आसनों की संगीतमय आकर्षक प्रस्तुति रा य स्तरीय योगासन प्रतियोगिता आयोजित है. रा िा 8 बजे से सांस्कृतिक सं या अंतर्गत छ ाीसगढ़ लोक सांस्कृतिक सं या लोकरंग अर्जु दा की प्रस्तुति संचालक दीपक चंद्राकर के निर्देशन में होगा. इसी अंतराल में सुप्रसिद्ध हास्य कलाकार शिवकुमार दीपक एवं हेमलाल सेन द्वारा राष्टï्रपिता महा मा गांधी पर आधारित प्रेरक संदेश से जनमानस लाभा िवत होंगे. आचार्य की पावन नि ाा में 3 अप्रैल को प्रात: 9 बजे से तीर्थ परिसर में निर्मित ाी महावीर प्राकृतिक एवं योग वि ाान चिकि सा महाविद्यालय भवन का उद ााटन उ सव प्रारंभ होगा. उद ााटन स ा के बाद नगपुरा महो सव मंच से आचार्य जनमानस को प्रवचन के मा यम से धर्मलाभ प्रदान करेंगे. पर परागत रूप से प्रतिवर्षानुसार इस दिन मां भगवती देवी पदमावती प्रसादी (भंडारा) दोपहर 12.30 बजे से आयोजित है. रा िा में 8 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत जय मां सरस्वती रामधुनी पार्टी धामनसरा तथा भूपे द्र साहू संचालित सांस्कृतिक संस्था रंग सरोवर बारूका गरियाबंद की प्रस्तुति होगी. हास्य कलाकार सुदेश यादव एवं संतोष यादव अपने कला के मा यम से जनमानस को प्रेरित करेंगे. पांच दिवसीय नगपुरा महो सव में जनमानस मड़ई मेला हाट बाजार के साथ मीनाबाजार का आनंद उठाएंगे. इस वर्ष महो सव स्थल पर लोक मड़ई के संचालक दलेश्वर साहू के साथ ही कुलेश्वर चक्रधारी, कृष् ाा सोनी, हेमंत पटेल, हेमंत चक्रधारी, अनिरूद्ध चौधरी आदि कलाकारों द्वारा विभिन्न विधाओं पर आधारित कार्यक्रम मंच एवं स्थल सजावट जनमानस को आकर्षित करेंगे.
Sunday, March 28, 2010
मीनाकुमारी की शायरी
फिल्म जगत में मीनाकुमारी ने दो दशकों से अधिक समय तक दर्शकों के दिलों में छायी रही। वह न केवल उच्चकोटि की तारिका थी बलिक एक शायर भी थी। अपने दर्द, ख्वाबों की तस्वीर और गम के रिश्तों को उन्होंने जो जज्बाती शक्ल अपनी शायरी में दी, वह बहुत कम लोगों को मालूम है।उनकी वसीयत के मुताबिक फिल्म लेखक गुलजार को मीनाकुमारी की २५० निजी डायरियां मिली। उन्हीं में लिखी नज्मों, गजलों, शेरों के आधार पर गुलजार ने मीनाकुमारी की शायरी का एकमात्र संकलन तैयार किया है। मीनाकुमारी की शायरी का कुछ अंश यहां इसलिए दिया जा रहा है ताकि जाने एक उम्दा कलाकार के दिल में कितनी पीड़ा और दर्द छिपा हुआ था।
टुकड़े-टुकड़े दिन बीता,
धज्जी-धज्जी रात मिली।
जिसका जितना आंचल था,
उतनी ही सौगात मिली।
जब चाहा दिल को समझें,
हंसने की आवाज सुनी।
जैसे कोई कहता हो, लो
फिर तुमको अब मात मिली।
बातें कैसी, घातें क्या।
चलते रहना आठ पहर।
दिल सा साथी जब पाया,
बेचैनी भी साथ मिली॥
-----------------------
चांद तन्हा है, आसमां तन्हा
दिल मिला है कहां-कहां तन्हा।
बुझ गई आस, छुप गया तारा
थरथराता रहा धुआं तन्हा।
जिन्दगी क्या इसी को कहते हैं।
जिस्म तन्हा है और जां तन्हा।
हमसफर कोई मिल गया जो कहीं।
दोनों चलते रहे यहां तन्हा
राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जाएंगे यह जहां तन्हा।
-----------------------
मसर्रत पे रिवाजों का सख्त पहरा है,
न जाने कौन-सी उम्मीदों पे दिल ठहरा है।
तेरी आंखों में झलकते हुए इस गम की कसम
ए दोस्त दर्द का रिश्ता बहुत ही गहरा है।
--------------------------------
प्यार एक ख्वाब था
------------------
वक्त ने छीन लिया हौसला-ए-जब्ते सितम
अब तो हादिसा-ए-गम पे तड़प उठता है दिल
हर नए जख्म पे अब रुह बिलख उठती है
होंठ अगर हंस भी पड़े आंख छलक उठती है।
जिंदगी एक बिखरता हुआ दर्दाना है
एसा लगता है कि अब खत्म पर अफसाना है।
-----------------------------
दिन गुजरता नजर नहीं आता
रात काटे सेभी नहीं कटती
रात और दिन के इस तसलसुल में
उमऱ बांटे से भी नहीं बटती
अकेलेपन के अंधेरे में दूर-दूर तलक
यह एक खौफ जी पे धुआं बनके छाया है
फिसल के आंख से यह छन पिघल न जाए कहीं
पलक-पलक ने जिस राह से उठाया है।
शाम का यह उदास सन्नाटा
धुंधलका, देख बढ़ता जाता है
नहीं मालूम यह धुंआ क्यों है
दिल तो कुश है कि जलता जाता है
तेरी आवाज में तारे से क्यों चमकने लगे
किसकी आंखों के तरन्नुम को चुरा लाई है
किसकी आगोश की ठंडक पे है डाका डाला
किसकी बांहों से तू शबनम उठा लाई है।
---------------------------------------
गुलजार दावारा संपादित हिन्दी पाकेट बुक्स से पऱकाशित मीनाकुमारी की शायरी का कुछ अंश यहां दिया गया है। कितना अंतर है कल और आज में उस जमाने के कलाकार न केवल अच्छे अदाकारा थे बलिक उनके दिल में भी कितना दर्द छुपा हुआ था जो शायरी के रुप में सामने आ गया है।
------मीनाकुमारी की शायरी से साभार--------
टुकड़े-टुकड़े दिन बीता,
धज्जी-धज्जी रात मिली।
जिसका जितना आंचल था,
उतनी ही सौगात मिली।
जब चाहा दिल को समझें,
हंसने की आवाज सुनी।
जैसे कोई कहता हो, लो
फिर तुमको अब मात मिली।
बातें कैसी, घातें क्या।
चलते रहना आठ पहर।
दिल सा साथी जब पाया,
बेचैनी भी साथ मिली॥
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चांद तन्हा है, आसमां तन्हा
दिल मिला है कहां-कहां तन्हा।
बुझ गई आस, छुप गया तारा
थरथराता रहा धुआं तन्हा।
जिन्दगी क्या इसी को कहते हैं।
जिस्म तन्हा है और जां तन्हा।
हमसफर कोई मिल गया जो कहीं।
दोनों चलते रहे यहां तन्हा
राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जाएंगे यह जहां तन्हा।
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मसर्रत पे रिवाजों का सख्त पहरा है,
न जाने कौन-सी उम्मीदों पे दिल ठहरा है।
तेरी आंखों में झलकते हुए इस गम की कसम
ए दोस्त दर्द का रिश्ता बहुत ही गहरा है।
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प्यार एक ख्वाब था
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वक्त ने छीन लिया हौसला-ए-जब्ते सितम
अब तो हादिसा-ए-गम पे तड़प उठता है दिल
हर नए जख्म पे अब रुह बिलख उठती है
होंठ अगर हंस भी पड़े आंख छलक उठती है।
जिंदगी एक बिखरता हुआ दर्दाना है
एसा लगता है कि अब खत्म पर अफसाना है।
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दिन गुजरता नजर नहीं आता
रात काटे सेभी नहीं कटती
रात और दिन के इस तसलसुल में
उमऱ बांटे से भी नहीं बटती
अकेलेपन के अंधेरे में दूर-दूर तलक
यह एक खौफ जी पे धुआं बनके छाया है
फिसल के आंख से यह छन पिघल न जाए कहीं
पलक-पलक ने जिस राह से उठाया है।
शाम का यह उदास सन्नाटा
धुंधलका, देख बढ़ता जाता है
नहीं मालूम यह धुंआ क्यों है
दिल तो कुश है कि जलता जाता है
तेरी आवाज में तारे से क्यों चमकने लगे
किसकी आंखों के तरन्नुम को चुरा लाई है
किसकी आगोश की ठंडक पे है डाका डाला
किसकी बांहों से तू शबनम उठा लाई है।
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गुलजार दावारा संपादित हिन्दी पाकेट बुक्स से पऱकाशित मीनाकुमारी की शायरी का कुछ अंश यहां दिया गया है। कितना अंतर है कल और आज में उस जमाने के कलाकार न केवल अच्छे अदाकारा थे बलिक उनके दिल में भी कितना दर्द छुपा हुआ था जो शायरी के रुप में सामने आ गया है।
------मीनाकुमारी की शायरी से साभार--------
Friday, March 12, 2010
डॉ. बलदाऊ शर्मा का खंड काव्य
दुर्ग छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरा पर पले-बढ़े सुविख्यात शिक्षाविद् राष्ट्रीय पुरस्कार से अलंकृत पं। जामवंत शर्मा के ज्येष्ठ सुपुत्र डॉ। बलदाऊ शर्मा ने सूतपुत्र महाकाव्य की रचना के बाद छत्तीसगढ़ राज्य को पुण्य श्लोक गुरू गोविन्द सिंह के अमल धवल चरित्र को खंडकाव्य के माध्यम से उजागर करने का कार्य किया है।
खंडकाव्य की परम्परा के अनुसार पांच सर्गों में एक ही छंद में निबध्द यह कृति अंचल के समाजसेवी हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ। एस.एस.ढिल्लन को समर्पित की गयी है।अपने भतीजे स्व. अंकित शर्मा की स्मृति में लिखा गया यह खंडकाव्य नई पीढ़ी को यह आभास कराने में सर्वथा समर्थ है कि गुरू गोविन्द सिंह का अलौकिक चरित्र , अगाध देशभकि्त और धर्म के पऱति निष्ठा, पऱभृति सदगुणों ने उनको देश का महानायक बना दिया। देश और धर्म के लिए अपने चार-चार पुत्रों की शहादत देने वाले गुरू गोविन्द सिंह का विराट व्यकि्त्व अपनी उपमा आप ही है।इस खंड काव्य के उस पऱसंग को पढ़ते समय रोंगटे खड़े हो जाते हैं जब गुरू तेगबहादुर कश्मीरी पंडितों की व्यथा को सुनकर दऱवित हो जाते हैं और उनका मुखमंडल दुख से कुम्हला जाता है। उसी समय सात बरस का गोविन्द आकर उनसे दुख का कारण पूछता है और जब पिता गुरू तेगबहादुर कहते हैं कि बेटा इस समय देश किसी महात्मा की बलि चाहता है तब गोविन्द कहते हैं कि हे पिता वर्तमान में आपसे बड़ा महात्मा अन्य कौन है। पिता को शहादत का पाठ पढ़ाने वाला उसका महान पुत्र के अनिर्वचनीय चरित्र का उदघाटन डॉ. शर्मा ने बड़े ही सुंदर ढंग से किया है।
डॉ. शर्मा की यह कृति वैदेही पऱकाशन साकेत धाम अर्जुन्दा में मुदित होने को तैयार है। कृति की पूर्णता पर अनेक मित्रों ने बधाइयां भेजी है, जिनमें गुलबीर सिंह भाटिया, डॉ। सोधी. आर.ए.शर्मा, कैलाश शर्मा, जर्नादन शर्मा,के।के।शर्मा, सहित भारी संख्या में लोग शामिल हैं.
खंडकाव्य की परम्परा के अनुसार पांच सर्गों में एक ही छंद में निबध्द यह कृति अंचल के समाजसेवी हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ। एस.एस.ढिल्लन को समर्पित की गयी है।अपने भतीजे स्व. अंकित शर्मा की स्मृति में लिखा गया यह खंडकाव्य नई पीढ़ी को यह आभास कराने में सर्वथा समर्थ है कि गुरू गोविन्द सिंह का अलौकिक चरित्र , अगाध देशभकि्त और धर्म के पऱति निष्ठा, पऱभृति सदगुणों ने उनको देश का महानायक बना दिया। देश और धर्म के लिए अपने चार-चार पुत्रों की शहादत देने वाले गुरू गोविन्द सिंह का विराट व्यकि्त्व अपनी उपमा आप ही है।इस खंड काव्य के उस पऱसंग को पढ़ते समय रोंगटे खड़े हो जाते हैं जब गुरू तेगबहादुर कश्मीरी पंडितों की व्यथा को सुनकर दऱवित हो जाते हैं और उनका मुखमंडल दुख से कुम्हला जाता है। उसी समय सात बरस का गोविन्द आकर उनसे दुख का कारण पूछता है और जब पिता गुरू तेगबहादुर कहते हैं कि बेटा इस समय देश किसी महात्मा की बलि चाहता है तब गोविन्द कहते हैं कि हे पिता वर्तमान में आपसे बड़ा महात्मा अन्य कौन है। पिता को शहादत का पाठ पढ़ाने वाला उसका महान पुत्र के अनिर्वचनीय चरित्र का उदघाटन डॉ. शर्मा ने बड़े ही सुंदर ढंग से किया है।
डॉ. शर्मा की यह कृति वैदेही पऱकाशन साकेत धाम अर्जुन्दा में मुदित होने को तैयार है। कृति की पूर्णता पर अनेक मित्रों ने बधाइयां भेजी है, जिनमें गुलबीर सिंह भाटिया, डॉ। सोधी. आर.ए.शर्मा, कैलाश शर्मा, जर्नादन शर्मा,के।के।शर्मा, सहित भारी संख्या में लोग शामिल हैं.
Thursday, March 11, 2010
महिला आरक्षण का लाभ किसे
महिला आरक्षण विधेयक राज्य सभा में पास हो गया है, और लोकसभा से हरि झंडी का इंतजार है। इस विधेयक को राज्य सभा में पारित करवाने के लिए सरकार को जबरदस्त मशक्कत करनी पड़ी है। विधेयक का न केवल यादवी विरोध हुआ बलि्क विधेयक को फाड़ कर हवा में भी उछाल दिया गया। चाहे जो भी हो विधेयक आखिर पास हो ही गया किन्तु विधेयक की सार्थकता तभी साबित होगी जब इसका लाभ गैरराजनीतिक महिलाओं को मिले। वैसे भी भारतीय राजनीति में अच्छे परिवार की महिलाएं नहीं आना चाहती। बड़े-बड़े दावे करने वाली राजनैतिक दल क्या एक गांव की साधारण महिला को लोकसभा या विधानसभा में भेजने का मन बना पाएगी। विधेयक की आड़ में जब भी टिकट बटेगी तब वही लोग बाजी मारने में कामयाब होंगे जो आज राजनीति में भागीदार है। किसी विधायक, सांसद या फिर किसी ओहदेदार नेता के परिवार की महिलाएं ही आगे आएगी। किसी बुधियारिन या किसी मनटोरा कभी सांसद विधायक नहीं बन पाएगी। फिर विधेयक की औचित्य पर सवाल उठना स्वाभाविक ही है।
इमानदार राजनैतिक दल विधेयक के बाद यदि महिलाओं की नई टीम तैयार कर और उन्हें आगे आने का अवसर दे तो शायद कुछ राहत मिले। लेकिन जिस तरह की परिपाटी भारतीय राजनीति में चल रही है। सभी दलों में परिवार वाद का बोलबाला है,नेताओं के रिश्तेदार ही आगे बढते हैं। इस परंपरा पर अंकुश लगाने से ही सर्व समाज की महिलाँए आगे आएंगी और राजनीति में शुचिता का संचार होगा। आरक्षण के आड़ में यदि फिर वही खेल चला तो लोगों का विश्वास सारी व्यवस्था से उठ जाएगा। जहां तक विधेयक के विरोध करने वाले लालू यादव की बात है तो वे राज की राजनीति के सबसे बड़े अवसरवादी नेता हैं।जब उन्हें बिहार का मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था तब उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाकर अपनी सोच को उजागर कर दिया था आज उनका विरोध बेमानी है। कल जब आरक्षण पूरी तरह से लागू हो जाएगा तब सबसे पहले लाभ उठाने वालों की कतार में पहले नंबर पर यही लालूयादव खड़े नजर आएंगे। आज जरुरत इस बात की भी है कि येसे अवसरवादी का चेहरा बेनकाब करें.
Friday, March 5, 2010
क्या महिलाओं को मिलेगा उनका हक
पूरे देश में एक बार फिर महिला आरक्षण बिल पर चर्चा हो रही है। बिल संसद में पेश हो चुका है और 8मार्च को इस पर मतदान कराए जाने की चर्चा है। इस दिन महिलाओं के लिए खास दिन है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस। क्या पुरुष पऱधान य़ह समाज, महिलाओं को यह तोहफा देने के लिए तैयार है। यह सवाल आज हर किसी के मन में कौंध रहा है।जिस बिल के पास होते ही पुरुषों का हक मारा जाएगा उस बिल को क्या बहुसंख्यक सांसद पास होने देंगें। इस बात की संदिग्धता जब तक इस पर फैसला नहीं हो जाता कायम ही रहेगा। हालांकि आज के इस युग में महिलाएं पुरुषों के कंधा से कंधा मिलाकर हर क्षेत्र में कार्य कर रही है किन्तु कहीं न कहीं आज भी नारी का शोषण हो रहा है और उन पर जुल्म की दास्तान लिखी जा रही है। संसद में बैठने वाले नीति नियंता यह कभी नहीं स्वीकार करेगें कि संसद की आधी कुर्सी पर महिलाओं का कब्जा हो। क्योंकि किस्सा ही कुर्सी का है। आज लोकसभा अध्यक्ष जो स्वयं महिला है ने व्हीप जारी कर सभी सांसदों की उपसिथित तय कर दी है किन्तु कौन वोट करेगा इसका पता कैसे चल पाएगा और इस बात की क्या गारंटी है कि बिल पर बहस और हंगामा न हो। यह भी हो सकता है कि बिल पर मतदान का अवसर ही न आए। यदि यह बिल पास होता है तो महिलाओं को उनके दिवस पर पुरुष समाज का एक अनुपम तोहफा ही होगा.
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